क्या हमें अच्छे काम करने के लिए किसी के कहने की जरूरत है

क्या हमें अच्छे काम करने के लिए किसी के कहने की जरूरत है
जी मित्रो आज में आपको इस टॉपिक पर कुछ रोचक बातें बताने जा रहा हु
दोस्तों हम अपने रोज के कामो के बीच भी कुछ अच्छे काम कर सकते है और दूसरों को भी प्रेरित कर सकते है।
क्यों कि आज की तारीख में बुरे काम करने वालो की कोई कमी नही है और वो उन्हें कोई सिखाता भी नही।
भरमार है ऐसे लोगो की । कश्मीर का हाल आप देख ही रहे है ।
पर आज अगर आप किसी को कुछ अच्छा करने के लिए बोले तो उसका शायद जवाब हो चल आगे चल भाई और भी काम है।
हा हा हा
चलो छोड़िये इनको । आइये आपको मैं अपनी लाइफ के कुछ यादगार किस्से बताता हूं जिसने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित किया ।
ये बात उस समय की है जब में कॉलेज में पड़ता था और उन दिनों मेरे पास कही आस पास जाने के लिए मेरी बाइसिकल हुआ करती थी या फिर सिटी बसे।
उस समय ये सिटी बसे इंदौर में नई नई लांच हुई थी
और इनमे लगे थे पावर ब्रेक जिन्हें उन गाड़ियों के ड्राइवर्स को लगाने का बिलकुल भी अनुभव नही था ।
वो जब भी जरा जोर से ब्रेक लगाते और बस की सारी पब्लिक एक की ऊपर एक आ जाती। चूंकि उस टाइम ये बसे इंदौर में नई थी लोगो को इसका कुछ ज्यादा ही क्रेज भी था।
साहब चूंकि मै जहा से बैठता था उस एरिया की 9 No. बस पुरे इंदौर में हर टाइम सबसे ज्यादा भीड़ वाली होती थी ।
और पिक टाइम मतलब ऑफिस टाइम सुबह 12 बजे तक और शाम को 6 से 9 तो पूछिये ही मत भीड़ का आलम ।
अब आप बोलेगे ये क्या सिटी बस का इतिहास सुना रहे हो मुद्दे की बात बताओ जो आपका टॉपिक है ।
बस दोस्तों वही बता रहा हु।
तो उन दिनों हमारे साथ कुछ बुजुर्ग लोग भी हमारे साथ सफर किया करते थे जो की ड्राइवर के पावर ब्रेक लगाने पर अपने आप को सम्भाल नही पाते थे और गिर जाते थे ।
कई बार तो उन्हें चोट भी आई। पर ये सब चलता रहा ।
पर एक दिन तो कुछ ज्यादा ही बड़ा काम हो गया । जब एक वृद्व बहुत जोर से दरवाजे से नीचे जा गिरा ।
यकीन माने दोस्तों उस दिन मैं भी वही भीड़ में खडा था । उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा और मैने मन ही मन ये बात सोच ली की अब ऐसा किसी और के साथ नही होने दूँगा।
उस दिन के बाद मै जब भी बस में होता और मेरे सामने कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति खड़ा दिखता मै उसे अपनी सीट पर बैठा देता।
मेरा ये क्रम कई महीनो तक चला सब लोग जो उस समय मेरे साथ जाया करते थे उनमें कुछ मेरे जैसे ही स्टूडेंट थे ये सब देखा करते थे।
फिर समय बीतता गया और मेरी जॉब लग गई । गाड़ी आ गई और मेरा सिटी बस का सफर खत्म हो गया।
पर एक बार मेरा बहुत दिनों के बाद सिटी बस में जाना हुआ ।
पर दोस्तों एक बात देखकर मैं हैरान था कि जो काम मेने बुजुर्गो को अपनी सीट पर बैठाने का छोड़ा था वो क्रम बंद नही हुआ था । कुछ दूसरे स्टूडेंट उसे आज भी जारी रखे थे जो मेरे समय स्कूल जाया करते थे।उस दिन लगा की अच्छा इंसान सभी के अंदर होता है बस किसी एक को स्टेप लेने की जरूरत होती है।
दोस्तों आज भी जब मैने सिटी बस का सफर बंद कर दिया है पर अच्छे काम करना और लोगो के सामने उदाहरण पेश करना बंद नही किया ।
आज भी मैं जब आफिस जाता हूं । जब एक बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति कडी धुप में अखबार बेचता हुआ दिखता है ।
उससे उसके पास जितने टाइप के भी अखबार होते है सब 1-1 ले लेता हूं ।
कुछ गरीब लोग ट्रैफिक सिग्नल पर बलून बेचते हुए दिखते है उनसे ख़रीद कर किसी भी गरीब बच्चे को दे देता हूं ।
कभी भी गरीब लोगो से जो ट्रैन या कही छोटा मोटा सामान बेचते है उनसे बार्गेनिंग नही करता ।
क्यों कि दोस्तों ये वो लोग है जो मेहनत करके काम रहे है उन लोगो से लाख गुना अच्छे है जो मंदिरो के सामने भीख मांगते है या शनि महाराज बन कर घूमते है ।
हम सोचते है कि इस कलयुग में कही भगवान है क्या ?? तो दोस्तों जवाब है हा है
वो लोग जो दिन भर में 10 बलून बेचते है और आप जाकर उनसे सारे एक मिनिट में ले लो । तो आप उसके लिए भगवान के बराबर ही है।
दोस्तों हम अपने लिए तो बहुत खर्च करते है कभी अपनी सैलरी क्रडिट वाले दिन दुसरो के लिए भगवान जरूर बने । वो रियल भगवान सदा आपका और आपके परिवार का धयान रखेगा ।
आशा करता हु मेरा ये लेख आपको कुछ अच्छा करने की लिए जरूर प्रेरित करेगा ।
एक आम भारतीय के key board से क्यों कि अब कलम नही key board है
जय हिंद ।
जय भारत ।